ऐसी दशा में उसी आहत व्यक्ति की उसी रूप में क्षति पूर्ति करना सम्भव नहीं।
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ऐसी दशा में उसी आहत व्यक्ति की उसी रूप में क्षति पूर्ति करना सम्भव नहीं ।
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ऎसी दशा में उसी आहत व्यक्ति की उसी रूप में क्षति पूर्ति करना सम्भव नहीं, किंतु दूसरा मार्ग खुला है।
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क्योंकि किशोर यधपि अब छोटा सा बच्चा नहीं है कि निरन्तर आदेशों का पालन करता रहे, परन्तु चूंकि अभी उसके पास आवश्यक अनुभव नहीं हैं, अपने निणर्यों में वो अपनी भावनाओं तथा उत्तेजनाओं से प्रेरित होता है और कभी कभी जीवन में ऐसे निर्णय ले लेता है जिसकी क्षति पूर्ति करना असम्भव होती है।